tag:blogger.com,1999:blog-6521860.post7417878832219680270..comments2023-10-30T05:21:36.911-07:00Comments on Madhukar's Musings: Imagined Lifescapes (1)Unknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6521860.post-57280056015831852842011-01-20T11:58:09.732-08:002011-01-20T11:58:09.732-08:00बहुत खूब... मुझे ये दोनों बहुत पसंद आये-
"कु...बहुत खूब... मुझे ये दोनों बहुत पसंद आये-<br /><br />"कुछ शब्द हैं, जो मैंने आज तक नहीं कहे| पुराने सिक्कों की तरह वे मेरी जेब में पड़े रहते हैं| ना उन्हें फ़ेंक पाता हूँ, ना भुला पाता हूँ|..."<br />"खँडहर... सब बीता हुआ, जिया जा चूका, फिर भी जहाँ का तहां!"<br /><br />जिंदगी के उस हिस्सों कि बातें...जब हरियाली एक सपना नहीं बस एक आम सी बात थी...बीते दिन अब भी यादों में उन दिनों के भीनी भीनी खुशबू लिए ..खुश्बू जो अब भी उतनी ही ताज़ी लगती है...छूने की जब भी कोशिश की हमनें उन्हें, सब धीरे धीरे अस्पष्ट होती आकृतियों सी..लाजवंती की तरह सिकुडती और सकुचाती..दूर और दूर...सब कुछ धुंधली सी जैसे शीशे के उस पार दीखता है पर छू नहीं पाता...बस जब कभी अल्बम पलटता हूँ, पीले पड़े वो बेजान सी तसवीरें जिनकी यादें उतनी ही ताज़ी जितनी वो पीली और पुरानी हो चुकी हैं, अंतर्मन में बिलकुल सजीव होती और मैं निस्तब्ध फिर कहीं एक और सफ़र पर अकेला और खोया खोया सा निकल पड़ता हूँ ..सफ़र जिसे जिंदगी कहते हैं...!sanjayjhahttps://www.blogger.com/profile/12064499175914443773noreply@blogger.com