Tuesday, March 13, 2012

तो यह जगह तुम्हारी है...



अगर नींद से प्यारा है सपना,
और ज़िद के साथ ले सकते हो जोख़िम
तो यह जगह तुम्हारी है...

अगर शुरू कर सकते हो अकेले,
और बढ़ने के लिए नहीं ढूंढोगे सहारा
तो यह जगह तुम्हारी है...

अगर भरोसा है खुद पर,
और अविश्वास नहीं है जग पर
तो यह जगह तुम्हारी है...

अगर चल सकते हो अनथक,
और छाव का इंतज़ार नहीं है
तो यह जगह तुम्हारी है...

अगर भूख लगे और याद आए भूखा,
और प्यास पर, तालाब एक सूखा
तो यह जगह तुम्हारी है...

अगर आँख नहीं है पर दृष्टि है,
तन का एक भाग नहीं है, पर मस्ती है
तो यह जगह तुम्हारी है...

अगर नहीं चाहते आग लगाना,
और चिंगारी है एक मकसद
तो यह जगह तुम्हारी है...

अगर नींद से प्यारा है सपना,
और ज़िद के साथ ले सकते हो जोख़िम
तो यह जगह तुम्हारी है...

- अंशु , 1/1/12