मगर ये साल गलत लगता है...
मार्च आया, पर बंयाइन की बाँहों से
आज भी पसीने की गंध आई नहीं
मेरी खिड़की के परे आज भी बादल बरसे
ढूंढ कर गरम मोज़े मैंने पहन लिए
लग रहा है कि धरा ने बदल ली करवट
लग रहा है कि मौसम बदलने लगे
... मैं चला जाऊँगा कहीं कुछ चंद सालों में'
छोड़ जाऊँगा जहाँ मेरी गलतियाँ भी थीं
शायद इसीलिए...
ये 'रोमांटिक' मौसम कचोटता है
मार्च आया, पर बंयाइन की बाँहों से
आज भी पसीने की गंध आई नहीं
मेरी खिड़की के परे आज भी बादल बरसे
ढूंढ कर गरम मोज़े मैंने पहन लिए
लग रहा है कि धरा ने बदल ली करवट
लग रहा है कि मौसम बदलने लगे
... मैं चला जाऊँगा कहीं कुछ चंद सालों में'
छोड़ जाऊँगा जहाँ मेरी गलतियाँ भी थीं
शायद इसीलिए...
ये 'रोमांटिक' मौसम कचोटता है
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