ज़िन्दगी जीना सिखा ही देती है..
कभी कहती है इतनी राहें हैं,
उन्ही में रात की सियाही दे,
अध् खुली आंख के अंधेरों में,
थपकियाँ दे सुला भी देती है...
किन्ही लम्हों में इक कहानी बन
कई सपनों को सांस देती है,
और फिर याद के समुंदर में
भूल जाती, भुला भी देती है...
इस से मेरा है क्या रिश्ता?
कभी समझूंगा शायद मैं
ये अजीब सी जोगन
कभी रोती, हंसा भी देती है...
- Jamshedpur (Sept 23rd, 2012)
कभी कहती है इतनी राहें हैं,
उन्ही में रात की सियाही दे,
अध् खुली आंख के अंधेरों में,
थपकियाँ दे सुला भी देती है...
किन्ही लम्हों में इक कहानी बन
कई सपनों को सांस देती है,
और फिर याद के समुंदर में
भूल जाती, भुला भी देती है...
इस से मेरा है क्या रिश्ता?
कभी समझूंगा शायद मैं
ये अजीब सी जोगन
कभी रोती, हंसा भी देती है...
- Jamshedpur (Sept 23rd, 2012)
1 comment:
है जो भी यह रिश्ता,
मुहोब्बत का ही होगा
कभी खुसफुसा के, कभी नज़रों से,
मुझे बार बार बता देती है....
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