Wednesday, March 20, 2013

एक मैं..और बहुत सी परछाईयां हैं

एक मैं
और बहुत सी परछाईयां हैं
कुछ पुरानी, कुछ नयी परछाईयां हैं ..

और कुछ सहमे हुए से
बादलों की सेज पर
स्वप्न जैसी ये कई परछाईयां हैं

... आज जब गंतव्य में हूँ
खो गया जो सूर्य पश्चिम में पिघलता
याद करता हूँ ..
बहुत परछाईयां थीं, बहुत परछाईयां हैं

खो गयीं कुछ,
कुछ अभी भी ढूंढती रहतीं हैं
मुझको
ढूंढता रहता हूँ मैं उनमे अपने आप को
कुछ पुरानी, कुछ नयी परछाईयां हैं ..
 

1 comment:

ब्लॉग बुलेटिन said...

पिछले २ सालों की तरह इस साल भी ब्लॉग बुलेटिन पर रश्मि प्रभा जी प्रस्तुत कर रही है अवलोकन २०१३ !!
कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
ब्लॉग बुलेटिन के इस खास संस्करण के अंतर्गत आज की बुलेटिन प्रतिभाओं की कमी नहीं (31) मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !