here's one more
Omar Khayyam's Rubaiyat: XXXV:
Then to the lip of this poor earthen Urn
I lean'd, the Secret of my Life to learn:
And Lip to Lip it murmur'd--"While you live
Drink!--for, once dead, you never shall return."
My Translation:
झुक कर जीवन के प्याले से, माँगा मैंने अपना परिचय,
जब अधर हमारे टकराए, तो छलक गया बोला मधुमय,
"वो घूँट तुझे जो बहका दें, वो ही तू है, तेरा परिचय,
पीता जा जब तक साँसे हैं, फिर तू होगा ना तेरा विस्मय।"
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1 comment:
लब पे लब धर कर वो बोली,
इत्ना ही मेर सम्वाद
जब तक जा पीता जा,
लौटा कौन मौत के बाद !!
i had read it somewhere......
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