कुछ सम्बन्ध ऐसे होते हैं
जो खोटे सिक्कों की तरह
मेरी जेब में पड़े रहते हैं...
उनका खनकना मुझे अच्छा लगता है,
पर उनसे
एक मुट्ठी भर सपने भी
नहीं खरीदे जा सकते...
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कुछ सम्बन्ध
एक मचलती पगडंडी की तरह
मेरे पैरों के नीचे से फिसल जाते हैं,
और मैं भटकता रहता हूँ...
और फिर एक दिन,
स्मृतियों के जंगल से,
वे निकल कर, वो मुझे फिर से जकड़ लेते हैं,
और मैं, दिशा-हीन, एक बार फिर,
उन पगडंडियों के साथ,
भटकता रहता हूँ....
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कुछ सम्बन्ध ऐसे होते हैं
जो जीवन की परिधि के
परे होते हैं...
और उनका भावनात्मक समीकरण
धातु-जगत का कोई भी तर्क
नहीं सुलझा पाता है...
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April 19th, 2010 - Remembering Geeta - on her birthday
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1 comment:
It touched something so deep inside...yaad dilati hai haar uss sambandh ki jo hum sab kabhi kisi mod pe chod aaye...ya chutt gaye...thankyou...
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