LXXII
And that inverted Bowl they call the Sky,
Whereunder crawling coop'd we live and die,
Lift not your hands to It for help--for It
As impotently moves as you or I.
My Translation:
सुने आसमान पर
हाथ उठा कर
मिटा रहे हो कौन सा गम...
उल्टा खाली प्याला
जो अधर में ही रुका है
जिसकी मदिरा का
हर कण सूख चूका है...
उतना ही असहाय है,
उतना ही नपुंसक है,
जितने तुम और हम।
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