आओ, फिर उस समय की बात करें,
खोये-मिलते पलों की बात करें...
धूल के उमड़ते बगूले-से,
ज़िन्दगी के किन्ही मुकामों पर,
ख्वाब जो तब बनाये थे हम्ने
उन जुनूनों की आज बात करें...
आओ, फिर उस समय की बात करें...
खो गया पर कहाँ वो हमसाया,
जो कभी था हमारा राहगुज़र,
आज फिर से उन्ही मुकामों को
जिन्हें हम भूल गए, याद करें...
आओ, फिर उस समय की बात करें...
जब ज़मीं से उछल कर हम,
हज़ारों आस्मां को रंगने की
चाह रखते थे,पर न हो पाया,
उस ज़मीं-आस्मां की बात करें...
आओ, फिर उस समय की बात करें...
***
पर अभी हाथ की लकीरों में,
जिस्म के चंद लम्हे बाकी हैं,
कैसे पूरी करें कहानी वो,
जो शुरू की थी,उसकी बात करें...
आओ, फिर उस समय की बात करें...
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