
कौफी के प्याले में, कब तलक डुबोओगे,
अन्तरंग कडुआपन,
मुझसे यूं पुछा है उकताई शाम नें,
और मैं निरुत्तर हूँ...
***
धुंए और धुंध भरे इस युग में,
आओ, हम अर्थ की तलाश करें,
चाहे वह व्यर्थ हो...
***
शब्द जो तिरिस्कृत हैं,
अर्थ जो बहिष्कृत हैं,
लाओ, हम उन्हें नए गीतों में ढाल दें...
1 comment:
beautiful..
Post a Comment