Saturday, December 31, 2011

जब दीवार से कलेंडर गायब होगा...

जब दीवार से कलेंडर गायब हुआ...
...तो कुछ खिड़कियाँ खुली रह गयीं थी
रस्सी पर सूख रहे कपड़ों में अभी भी नमी थी
अलमारी के ऊपर की धूल झाड्नी बाकी थी
गमले की मिट्टी को सींचना भूल गए थे
कुछ खतों के जवाब अभी देने थे
कमीज़ में अभी भी कुछ बटन लगाने रह गए थे
आधी पढ़ी किताब, मेज़ पर उलटी पड़ी थी
कुछ पुराने दोस्तों से एक बार फिर मिलना था
चंद कहानियां अधूरी थीं, पूरी करनी थीं...

जब दीवार से कलेंडर गायब होगा
तो कुछ खिड़कियाँ खुली रह जायेंगी...

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