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एक असहाय बच्चे सरीखे
किसी सहारे की तलाश में,
अपनी परिभाषा की खोज में
भटकते रहते हैं|...
उन्हें,
एक पौधे की तरह
सींचना - पालना -
आवश्यक होता है...
और ये संबंधों को जीवन देने का यत्न
सामजिक परिभाषाओं में आंकी हुई
स्वाभाविकता
के परे होता है...
- July 9, 1980
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