टहनी पर लटकी सी,जीवन में भटकी सी,
बादल के आँचल से, गिरते से ठहर गयीं,
भूली कुछ यादों सी, छुपी हुई बातों सी,
टूटी आशाओं सी, जीवन की राहों सी,
कुछ आधी, कुछ पूरी... पानी की बूँदें...
अनलिखी कहानी सी, बचपन की नानी सी,
जीवन की झुरियों में खोयी जवानी सी,
ढूँढती धरातल को, एक नए आंचल को,
सहमी-सी, डरती-सी, मेरे जीवन जैसी..
कुछ आधी, कुछ पूरी... पानी की बूँदें...
धुंधली उन यादों सी, भूल गई बातों सी,
मुस्कुराते चहरे पर, थके हुए होठों सी,
हिचकते मुखोटों में, ढूंढ रही अपने को,
भटकी कुछ आशाएं... टूटी परिभाषाएं..
कुछ आधी, कुछ पूरी... पानी की बूँदें...
- May 27, 2011 (Jamshedpur)
Saturday, May 28, 2011
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