Tuesday, May 17, 2011

जीवन की आपा-धापी में, कुछ सपने थे जो टूट गए..

जीवन की आपा-धापी में,
कुछ सपने थे जो टूट गए,
कुछ साथ चले, पर छूट गए,
हम चलते आये, भूल गए

लेकिन फिर भी, चंचल सपने
हँसते-रोते- सहमे-सहमे,
इक दिन तो पूछेंगे हमसे:
"क्या इसीलिए था जन्म लिया?"
- May 17, 2011 (Jamshedpur)

1 comment:

Nalinee Pathak said...

kafi pasand aayi..bahut khoob!!!