जीवन की आपा-धापी में,
कुछ सपने थे जो टूट गए,
कुछ साथ चले, पर छूट गए,
हम चलते आये, भूल गए
लेकिन फिर भी, चंचल सपने
हँसते-रोते- सहमे-सहमे,
इक दिन तो पूछेंगे हमसे:
"क्या इसीलिए था जन्म लिया?"
- May 17, 2011 (Jamshedpur)
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1 comment:
kafi pasand aayi..bahut khoob!!!
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